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जमामों नदी के किनारे स्थापित जमामों माता मंदिर जहां पर पूजा करने के लिए शेर पर चढ़कर आते थे।

 जमामों नदी के किनारे स्थापित जमामों माता मंदिर जहां पर पूजा करने के लिए शेर पर चढ़कर आते थे।

   
कहानी एक शेरावाली मां की

भारत देश में वैसे तो लाखों प्राचीन मंदिर मौजूद है। लेकिन कुछ ऐसी भी मंदिरे होती है जो सभी को शब्द मुक्त कर देती है। और वह लोगों के सोच से भी परे होती है। ऐसी ही एक मंदिर झारखंड के कोडरमा जिले के जमामो नदी के किनारे स्थापित मां जमामों माता मंदिर है। यह मंदिर पहाड़ी क्षेत्र में सैकड़ों वर्षों से स्थापित होनें ने के बावजूद भी दिन प्रतिदिन अपने भक्तों को अपनी चमत्कारिक शक्तियों से अपनी ओर आकर्षित किए जा रही है। और उनका साक्षात उदाहरण धाम में स्थापित अनगिनत त्रिशूल है। क्योंकि जो भी भक्त इस जमामो मंदिर में आकर अपनी मनोकामना को मांगते हैं, और उनकी मनोकामना जब माता रानी पूरी कर देती है तो भक्त इस धाम में इस मंदिर में एक त्रिशूल को स्थापित कर देते है। वह लोहे, चांदी, पीतल आदि आदि तत्वों का होता है।

मंदिर के रक्षक पीढ़ी शेर पर सवार होकर पूजन करने की इतिहास।

इस मंदिर के रक्षक पीढ़ी में पांचवीं पीढ़ी के पंडित जयप्रकाश राय बताते हैं कि उनके दादाजी शेर पर सवार होकर घने जंगल में बगल के गांव से जमामों माता की पूजा करने के लिए नित्य दिन आया करते थे। जयप्रकाश राय जी उनके दादाजी को शेर पर सवार होने का कारण बताते हैं। कि उनके दादाजी के समय में आसपास के लोग भीषण जंगल-झाड़ियां को देखकर भयभीत होने के कारण लोग इस मंदिर में पूजा अर्चना करने नहीं आया करते थे तब उनके दादाजी माता जी की शक्ति कृपा पाकर इस मंदिर में शेर पर सवार होकर नित्य दिन पूजा अर्चना करने आया करते थे। इस मंदिर में मुंडन संस्कार भी अत्यधिक संख्या में देखने को मिलती है। मंदिर की विकास पहले उतना नहीं हुआ था लेकिन धीरे-धीरे मंदिर की रूपरेखा बदली और अभी भी बहुत कुछ परिवर्तन करने की आवश्यकता है।

यह मंदिर झारखंड के गिरिडीह जिले के तीसरी प्रखंड के खरकरी पंचायत के जामामो नदी के किनारे स्थापित है। मंदिर की पूरी क्षेत्र में एक बड़ा यज्ञशाला है, तो दूसरी ओर राधा कृष्ण और अलग-अलग भगवान को समर्पित तरह- तरह की मंदिर स्थापित है। और मंदिर के द्वार के बाद प्रमुख मां जमामों माता भव्य मंदिर स्थापित है। लेकिन मंदिर के आसपास क्षेत्र की स्थिति बहुत ही दयनीय है? यहां तक की मंदिर तक जाने के लिए और कुछ दूरी से कुछ दूरी तक नदी पार करने के लिए पक्की सड़क अथवा एक पक्की पुल भी नहीं है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में नेटवर्क की भी बड़ी कमी रहती है। भले मां जमामों माता मंदिर में सुविधाएं कम है। लेकिन माता की चमत्कारिक शक्तियां सभी भक्तों को अपनी ओर खींच ले आती है। माता रानी की यह मंदिर घने जंगलों पहाड़ियों के बीच स्थापित है। मंदिर के आसपास ना दुकान और ना किसी प्रकार की गांव लेकिन फिर भी मंदिर में अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है। तो इससे यह प्रतीत होता है, और यह सिद्ध होता है कि आस्था कुछ भी करा सकती है।

मंदिर की बड़ी सी यज्ञशाला वह भी मन मोह लेती है। उनकी एक-एक पिलर चारों दिशाओं में जिधर भी दृष्टि पड़ती है। सभी जगह पर वेदों के नाम उपवेदों के नाम से भरा हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है, कि इस मंदिर में वैदिक परंपराओं के अनुसार वैदिक विधि भाव से बड़े-बड़े यज्ञ होते हैं। और उन यज्ञों के माध्यम से इस धाम में परमात्मा चमत्कारीक शक्तियां भी देती है। जो भी पाठक इस मंदिर को देखना चाहें वह आराम से इस मंदिर तक आ सकतें हैं। उन्हें मंदिर के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता भी देखने को मिलेंगे।

लेखक:- कृति कुमारी(SBN Team)🖋

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